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सुभाषितम श्लोक Subhashitam Shlokas

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  सुभाषितम श्लोक      सुभाषितम श्लोक   जो विभिन्न प्राचीन संस्कृत ग्रंथोें से लिये गए हैं। ये श्लोक मनुष्य जीवन निर्वाह हेतु परामर्श, उपदेश, ज्ञान अथवा मार्गदर्शन की तरह हैं। सुभाषितम श्लोक के महत्व को बताने वाला एक श्लोक ’’सुभाषिता मंजरी’’ में इस प्रकार बताया गया है। पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्। मूढैः पाषाणखंडेषु रत्न संज्ञा विधीयते।। हिन्दी भावार्थ:-      इस धरती पर तीन ही रत्न हैं - जल, भोजन और सुभाषितम। परंतु मूर्ख पत्थरों के टुकड़ों एवं हीरे, जवाहरात को रत्न समझते हैं।   Subhashitam Shlokas             Subhashitam Shlokas are taken from various ancient Sanskrit texts. These verses are like counselling, exhortation, knowledge, or guidance for sustaining human life. A Shloka from ‘Shubhasati Manjari’, Granth, which explains the importance of Subhashitam Shlokas, is described in this way.   Prithivyam trini ratnani jalmannam subhashitam Moodai pashadkandeshu ratna sangya vidhiyate ...
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   सिपाही / कामेरा / पहाड़ी बुलबुल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी व साहित्यकार पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल थे। उन्होंने भारत में बहुतायत में पायी जाने वाली बुलबुल को प्रतीक के रूप में प्रयोग करते हुए कविताएं लिखी थीं।  इनकी फांसी के लिए जाते वक्त कही हुई "सरफरोशी की तमन्ना" कविता अत्यंत प्रसिद्ध है। उनकी एक गज़ल "वतन के वास्ते" का मुखडा बहुत लोकप्रिय हुआ था, जिसमें बुलबुल पक्षी का उल्लेख है। "क्या हुआ गर मिट गये अपने वतन के वास्ते। बुलबुलें कुर्बान होती हैं चमन के वास्ते॥" अपनी एक अन्य पुस्तक "मन की लहर" में बिस्मिल कहते हैं "मुर्गे दिल मत रो यहाँ, आँसू बहाना है मना, अंदलीबों को कफस में, चहचहना है मना….. हाय जल्लादी तो देखो कह रहा जल्लाद यह, वक्ते-जिब्ह बुलबुलों का फ़ड़फड़ाना है मना….." (अंदलीब बुलबुल पक्षी को कहा गया है, कफस:- पक्षियों का पिंजरा , जिब्ह:-कत्ल) Sk gupta, B37, Madhuban colony, Amlidih, Raipur, Chattisgrah, 492001 Santoshsnapshots@gmail.com   +91    7000976901, 94060306...