वाल्मीकि रामायण का प्रथम श्लोक first Verse of Valmiki Ramayana

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शास्वती समा। यत्क्रौंचमिथुनादेकमवधी: काममोहितम्।। आदिकवि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य "रामायण भगवान" राम के चरित्र का उत्तम एवं वृहद विवरण है। यह बुराई पर अच्छाई के विजय तथा भगवान राम का लंका के राजा तथा प्रकंड विद्वान रावण के युध्द की कहानी है। हिंदू पवित्र महाकाव्य रामायण के पहले छंद (श्लोक) में सारस क्रेन (एंटीगोन एंटीगोन) की एक जोड़ी के बारे में एक कहानी है। यह सारस क्रेन भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में पाई जाने वाली एक बड़ी गैर-प्रवासी क्रेन है। उड़ने वाले पक्षियों में ये सबसे ऊंचे (tallest) होते है, खड़े होने पर इनकी ऊंचाई 1.6 मीटर से 1.9 मीटर (लगभग 6 फीट) तक जो एक इंसान के समान होती है। जब महान ऋषि वाल्मीकि (कवि और पवित्र श्लोकों के लेखक) नदी के किनारे स्नान करते वक्त सारस के प्रेमालाप प्रदर्शन को देख रहे थे, तो अचानक कहीं से एक तीर आकर नर को लगा और उसकी मृत्यु हो गई मादा शोक में विलाप करने लगी। सारस पक्षी को प्रेमालाप के शानदार प्...